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कुछ यादों की डायरी : जुलाई 2021

जुलाई

जुलाई कुछ खास तो नहीं पर बेहद खास रही..! जुलाई आते ही खेतों में हल चलने लगे, जीवन में हरियाली लौट आई आषाढ़ का रिमझिम बरसता पानी चारों तरफ भीनी मिट्टी की खुशबू और हरे रंग को ओढ़े वनों का यू खिल जाना मानो उनका अभी-अभी श्रृंगार किया गया हो। पंछियों की मीठी कलरव, दिन उनकी चहाचाहट से ही शुरू होता था, धरती मां के हृदय में बीज बोए गए जो उनके प्रेम और कृषकों के साधना से अंकुरित हो उठा। नए खिले पेड़ पौधे लहलहा उठे थे, घर से सभी लोग खेत पर चले जाते, अब बस एक हाथ के कारण मैं कुछ खास नहीं कर पाता था इसलिए मेरे हिस्से में सूर्या की जिम्मेदारी आती।

बच्चों के साथ जीना एक अलग सुकून हैं, मगर ये शैतान मुझे मेरा ही फोन छूने तक न देता था। हम दोनो की शरारतें भी खूब चली, बच्चों के साथ बच्चा बन जाना ही पड़ता है। मगर सूर्या के अलावा बाकी सभी बच्चों की जिम्मेदारी भी मेरे ही सिर पड़ जाती थी जो कि आसान बिलकुल नहीं था। और बारिश के दिनों में तो बिलकुल भी नहीं...!

खैर इसी तरह हँसी खुशी ये महीना गुजर गया, कुछ अच्छी बुरी खट्टी मीठी यादें छोड़ गया। बाकी जैसे मौसम बदलते रहता वैसे जीवन के रंग चढ़ते उतरते ही रहते हैं.. तो फिर जीवन से कोई शिकायत क्या करना..!


राधे राधे 🥰🙏

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2 Comments

🤫

26-Dec-2021 12:47 AM

बहुत खूब एमजे...!

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Thank you

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